Saturday, 11 March 2017

जनपद और महाजनपद

जनपद वैदिक भारत के प्रमुख राज्य थे | 6ठी सदी BC तक लगभग 22 विभिन्न जनपद थे |

जनपद और महाजनपद से जुड़े प्रमुख बिन्दु निम्न हैं :

जनपद वैदिक भारत के प्रमुख राज्य थे |आर्यन सबसे प्रभावशाली जाति थी और ये अपने आप को ‘जन’ कहते थे  | इसने एक नई परिभाषा दी ‘जनपद’ जिसमे जन का मतलब ‘लोग’ और पद का मतलब ‘चरण’ था |उत्तर प्रदेश और बिहार के भागों में लोहे के विकास के साथ, जनपद ओर ज़्यादा ताकतवर हो गए और महा जनपद में तब्दील हो गए |छठी सदी BCE में, महाजनपद या महान देश के विकास में वृद्धि हुई | 600 BC से 325 BC के दौरान  भारत के उपमहाद्वीपों में इस तरह के 16 महाजनपद थे | राज्य दो प्रकार के थे : एकतांत्रिक और गणतांत्रिक | मल्ला, वज्जि, कम्बोज और कुरु गणतांत्रिक राज्य थे जबकि मगध, कोशल, वत्स, अवन्ती, अंग, काशी, गांधार, शूरसेना, चेदि  और मत्स्य स्वभाव से एकतांत्रिक थे |

600 BC से  325 BC  के दौरान 16 महाजनपद थे जिनका उल्लेख आरंभिक बौद्ध साहित्य (अंगुत्तरा, निकाया, महावस्तु ) और जैन साहित्य (भगवती सुत्त )में किया गया है, वे 16 महाजनपद निम्न थे :

 

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