Sunday, 30 July 2017

सामान्य ज्ञान

*सामान्य ज्ञान

सिद्ध नाटककार गणपत लाल डांगी का जन्म कहां हुआ??*
A- अलवर मे
B- हनुमानगढ़ में
C- चूरु में
D- जोधपुर में

*D-जोधपुर में*(गणपत लाल डांगी को बिज्जु भाई के नाम से भी जाना जाता है इन्होंने लोक नृत्य एवं लोक गीतों के  लिए माणक मंडल की स्थापना की , गणपत लाल डांगी ने हिंदी में सिपाही, कामधेनु ,सुखी कौन ,शैतान सिंह आदि नाटक लिखे ,गणपत लाल डांगी ने राजस्थानी में राज आपणो, अनोखा,  नौकर जोड़ी बळदां की,जैसे नाटकों की रचना की मोहन थियोट्रिकल डांगी द्वारा स्थापित नाटक कंपनी है )

*Q-2.. देश की पहली हवाई छायाचित्रण की व्याख्या करण प्रयोगशाला स्टेट रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर की स्थापना की गई है??*
A- जयपुर में
B- कोटा में
C- जोधपुर में
D- बीकानेर में

*C-जोधपुर में*(1979 में जोधपुर में देश की पहली हवाई छायाचित्र व्याखाकरण  प्रयोगशाला की स्थापना की गई, यह देश का एक ऐसा  एकमात्र केंद्र है  जिसके पास सुदूर संवेदनशील  तकनीक की दोनों पद्धतियां उपग्रह चित्र और हवाई छायाचित्र उपलब्ध है)

*Q-3.. जूना खेड़ा स्थल कहां स्थित है??*
A- सिरोही में
B- पाली में
C- उदयपुर में
D- जोधपुर में

*B-पाली में*(पाली जिले के जूना खेड़ा (नाडोल में )ऐसे मृद्पात्र (मिट्टी के बर्तन) मिले हैं जिन पर उन यक्षी  प्रतिमाओं का अंकन है जिन्हे परंपरा से *शालभंजिका* कहा जाता है इन्हें नारी सौंदर्य की पराकाष्ठा के रूप में जाना जाता है )

*Q-4.. रेवारी जाति का सबसे बड़ा मेला राजस्थान में किस स्थान पर भरता  है??*
A- पीतलहर मन्दिर- सिरोही
B- सारणेश्वर मंदिर -सिरोही
C-सियावा -सिरोही
D- अचलेश्वर मंदिर-सिरोही

*B-सारणेश्वर मंदिर सिरोही*(इस  मंदिर का निर्माण देवड़ा राजकुमल द्वारा 15 वीं सदी में किया गया था यहां पर रेबारी जाति का सबसे बड़ा मेला भाद्रपद शुक्ला द्वादशी को आयोजित होता है राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित है )

*Q-5.. जैसलमेर स्थित सेठ गुमान चंद बाफना हवेलियों का दूसरा नाम है??*
A- रामपुरिया हवेली
B- नथमल की हवेली
C-सालिम सिंह की हवेली
D- पटवों की हवेली

*D-पटवों की हवेली*( बाफना  परिवार गूंथने और पिरोने के पैतृक  व्यवसाय में  संलग्न था इसीलिए इन्हें पटवा कहा गया और उनके द्वारा बनाई गई हवेलियां पटवा हवेली कहलायी  है जैसलमेर की हवेलियों का निर्माण काल 18वी और 19वीं शताब्दी का है )

*Q-6.. राजस्थान में स्थित कौन सी हवेली जहाजी प्रासाद के समान दिखाई देती है??*
A-राखी हवेली
B-सालिम सिंह की हवेली
C-रायपुर की हवेली
D-नथमल की हवेली

*B-सालिमसिंह की हवेली*(सलीम सिंह की हवेली  जहाजी प्रासाद के समान दिखाई देती है यह हवेली पूर्व में सात खंडों में बनी हुई थी  लेकिन गिरने की आशंका से इसकी उपरी मंजिलों को उतार दिया गया अब यह केवल चार मंजिलों में सिमट कर रह गई  इसी हवेली में मोती महल के नाम से सालिम सिंह ने अपने लिए एक विशाल कक्ष का निर्माण कराया था)

*Q-7..फकिरो का तकिया  इमारत कहां स्थित है??*
A- अजमेर में
B- श्री गंगानगर में
C- जैसलमेर में
D- धौलपुर में

*C-जैसलमेर में*(अकबर की सेना का एक सेनापति मीर मासूम नामी उपनाम  से रचनाएं लिखता था जैसलमेर स्थित फकीरो का तकीया नामक इमारत मे जहा मीर मासूम जैसलमेर प्रवास के दौरान रुका था उसके द्वारा यहां पर  उसके द्वारा रची गई रचनाओं को अमर रखने के लिए रावल भीम की आज्ञा से दीवारों पर उत्कीर्ण करवा दिया था )

*Q-8.. जैसलमेर में प्रशासनिक सुधारों के अंतर्गत विक्रम संवत को  राजकीय सम्वत् बनाने का कार्य किस शासक ने शुरू किया??*
A- रावल  जैतसी
B-महारावल रणजीतसिंह
C-अमरसिंह
D-भीम सिंह

*B-महारावल रणजीत सिंह*( प्रथम भट्टीक संवत स्थानिक शासकों के पूर्वज राव भाटी द्वारा प्रचलित किया गया था यह विक्रम संवत 680 के लगभग प्रारंभ किया गया द्वितीय विक्रम संवत संपूर्ण भारतवर्ष में प्रचलित विक्रम संवत ही था, तृतीय शक संवत  उत्तर भारत मे प्रचलित संवत  थ) 

*Q-9.. गांगरसौली  मंदिर किस जिले में स्थित है??*
A- करौली
B- भरतपुर
C- सवाई माधोपुर
D- दोसा

*B-भरतपुर*(मराठा रानी अहिल्याबाई ने अपने पति खंडेराव की स्मृति में इस मंदिर का निर्माण करवाया

*Q-10.. किस जिले को राजस्थान का वृंदावन कहा जाता है??*
A- राजसमंद
B- करौली
C- जयपुर
D- सवाई माधोपुर

*B-करौली*(करौली में गली-गली में मंदिर है इसीलिए करौली को राजस्थान का वृंदावन भी करते हैं श्री गोविंद देव, गोपीनाथ, श्री मदन मोहन के विग्रहों के दर्शन एक ही दिन में करना अत्यंत शुभ माना जाता है  जयपुर को राजस्थान का दूसरा वृंदावन कहते हैं)

*Q-11.. राजस्थान में स्थित किस बालाजी को प्रेतराज और कोतवाल कप्तान के नाम से पूजे जाते हैं??*
A- सालासर बालाजी
B- मेहंदीपुर बालाजी
C-शौली  हनुमान जी
D-  वन खंडी बालाजी

*B-मेहंदीपुर बालाजी*(मेहंदीपुर  बालाजी राजस्थान के दौसा जिले में स्थित है मेहंदीपुर गांव का आधा हिस्सा दौसा जिले की  सिकराय तहसील में और आधा हिस्सा करोली जिले की टोडाभीम तहसील में पड़ता है मेहंदीपुर बालाजी को  प्रेतराज और कोतवाल कप्तान के नाम से  पूजा जाता है

*Q-12..पटेल लोकगीत दंगल प्रसिद्ध है??*
A- बांसवाड़ा में
B- करौली में
C- जयपुर में
D- बीकानेर में

*B-करौली में*(राजस्थान के गुर्जर बहुल डांग क्षेत्र के करौली में गुर्जर जाति के लोगों द्वारा यह दंगल आयोजित किए जाते हैं )

*Q-13..  प्रसिद्ध फिल्म गीतकार रहे हसरत जयपुरी का जन्म हुआ??*
A- अजमेर में
B- जयपुर में
C- कोटा में
D- उदयपुर में

*B- जयपुर में*(हसरत जयपुरी का जन्म 15 अप्रैल 1922 को जयपुर में हुआ इन है इक़बाल हुसैन के नाम से जाना जाता है बॉलीवुड के प्रसिद्ध संगीतकार अनु मलिक हसरत जयपुरी के पुत्र हैं )

*Q-14.. प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय कहां स्थित है??*
A- जयपुर
B- भरतपुर
C- बीकानेर
D- उदयपुर

*A-जयपुर*( जयपुर में बना यह  संग्रहालय जीव-जंतुओं पक्षियों और प्राकृतिक संसार की जानकारी देने वाला प्रदेश का एकमात्र व अनोखा संग्रहालय है इसके निर्माण का श्रेय प्रसिद्ध वन्यजीव विशेषज्ञ पदम श्री कैलाश सांखला को जाता है )

*Q-15.. जयपुर स्थित मथुरा वालों की हवेली संबंधित है??*
A- जाटों से
B- नक्कालों से
C- रामदेव जी से
D-  भाटों से

*B-नक्कालों से*(मथुरा वाले नक्कालो मे अहसान भाई  नक्काली  का पर्याय माने जाते थे  इस हवेली में 200 परिवार रहते थे यह हवेली हमेशा संगीत से गुलजार रहती थी महाराजा मानसिंह द्वितीय ने मथुरा वालों को यह हवेली उनके संगीत के जादू के कारण उपहार में दी थी तभी से इसे मथुरा वालों की हवेली के नाम से जाना जाता है)

*Q-16.. आहड़ के निकट स्थित कौन सा स्थान महाराणाओं के दाह स्थान के रूप में प्रसिद्ध है??*
A-गोगुन्दा
B-बागोर
C-गंगोद्भेद
D- इनमें से कोई नहीं

*C-गंगोद्भेद*(महाराणा प्रताप के बाद  के राजाओं का अंत्येष्टि संस्कार इसी स्थान पर हुआ है महाराणा अमरसिह प्रथम की छतरी यहां स्थित छत्रियों में सबसे प्राचीन ह) 

*Q-17.. फतेहसागर झील को अन्य किस नाम से जाना जाता है??*
A-  फतह  तालाब
B-पछुआ तालाब
C-पावटा तालाब
D-देवाली तालाब
*D-देवाली तालाब*(इस  झील  में आहड  नदी से जल  लाया जाता है फतेहसागर झील मे 1975 में उदयपुर सौर वेधशाला की स्थापना की गई  फतेहसागर के निकट भामाशाह उद्यान है)

*Q18-.. विक्टोरिया हॉल म्यूजियम स्थित है??*
A- सिरोही में
B- उदयपुर में
C- बीकानेर में
D- कोटा में

*B-उदयपुर में*(विक्टोरिया हॉल म्यूजियम गुलाब बाग- उदयपुर में स्थित है गुलाब बाग़ को सज्जन उद्यान भी कहते हैं मेवाड़ के महाराणा फतेह सिंह के शासनकाल में 1887 विक्टोरिया हॉल म्यूजियम का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ इस म्यूजिक में प्राचीन कलाकृतियों और शाही वस्तुओं का संग्रह है )

*Q-19.. हवाला शिल्पग्राम किस जिले में स्थित है??*
A- उदयपुर
B- पाली
C- डूंगरपुर
D- बांसवाड़ा

*A-उदयपुर*₹ फतह सागर झील के निकट 1989 में  पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा हवाला गांव में ग्रामीण  शिल्प और लोककला परिसर द्वारा शिल्प ग्राम का सृजन किया गया )

*Q-20.. उदयपुर स्थित नागदा स्थल को संस्कृत अभिलेखों में लिखा गया है??*
A-नांगोल
B-नागद्रह
C-नगरिया
D-नगरी

*B-नागद्रह*(मेवाड़ के महाराणाओं की प्राचीन राजधानी, यहां सास बहू का प्रसिद्ध मंदिर है जिसे सहस्त्रबाहु का मंदिर भी कहते हैं यहां दो जैन मंदिर है )

*Q-21.. अदबदजी का मंदिर कहां स्थित है??*
A- उदयपुर
B- जोधपुर
C- बीकानेर
D- भीलवाड़ा

*A- उदयपुर*(उदयपुर के नागदा स्थान परदो जैन मंदिर स्थित है  खुमाण रावल का देवरा और  अदबदजी का मंदिर ,अदबदजीके मंदिर में भीतर 9 फुट ऊंची शांतिनाथ की  बैठी हुई  मूर्ति है इस अद्भुत मूर्ति के कारण ही लोगों ने इसका नाम  अदबदजी (अद्भुत) जी का मंदिर रखा है महाराणा कुंभा के समय 1437 में ओसवाल सारंग ने यह मूर्ति बनाई थी )

*Q-22..घूणी  नामक तीर्थ स्थल किस जिले में है??*
A- कोटा में
B- बांसवाड़ा
C- डूंगरपुर
D- धौलपुर

*B-बांसवाडा*(माही  नदी के किनारे स्थित यह तीर्थ स्थल कृष्ण लीलाओं का धाम कहलाता है धार के राजा गंधर्वसेन द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया तीर्थ स्थल फसलों के रक्षक देव के रूप में प्रसिद्ध है )

*Q-23.. हरि मंदिर स्थित है??*
A- बांसवाड़ा
B- कोटा
C- जोधपुर
D- डूंगरपुर

*D-डूंगरपुर*( मावजी महाराज की जन्म स्थली के रूप में प्रसिद्ध इस मंदिर में भगवान निष्कलंक की मूर्ति स्थित है  यहा मावजी द्वारा रचित ग्रंथ चोपड़ा रखा है)

*Q-24.. रक्त तलाई को अन्य किस नाम से जाना जाता है??*
A- सैन्य तलाई
B- गाती तलाई
C-सेन तलाई
D-राती तलाई

*D-राती तलाई*(इस स्थान पर मुगलों व प्रताप की सेना के बीच ऐसी मारकाट मची जिससे रक्त का तालाब भर गया रक्त तलाई के पास  हरिरायजी की बैठक स्थित है हरिरायजी ने संस्कृत भाषा में 166 ग्रंथों की रचना की)

*Q-25.. द्वैतमत के संस्थापक कौन थे??*
A- निंबार्काचार्य
B- सदानंद
C- कबीर
D- संत दादू

*A-निंबार्काचार्य*(निंबार्काचार्य ने वेदांत पारिजात भाष्य  लिखा था निंबार्क मत में राधा को कृष्ण की परिणीता मानकर उनके युगल स्वरूप की पूजा की जाती है निंबार्क संप्रदाय को राजस्थान में लाने का श्रेय परशुराम देवाचार्य को है )

*Q-26.. दिल्ली में पुराना किला का निर्माण किस शासक के शासनकाल में हुआ था??*
A- जहांगीर
B- शाहजहां
C- शेरशाह
D- हुमायूं

*C-शेरशाह*( पुराना क़िला नई दिल्ली में यमुना नदी के किनारे स्थित प्राचीन दीना पनाह  नगर का आंतरिक किला है इस किले का निर्माण शेरशाह सूरी ने अपने शासनकाल में 1538 से 1545 के बीच करवाया था शेरशाह द्वारा बनाए गए शेर मंडल में हुमायूं का पुस्तकालय था यही पर पुस्तकों का बोझ उठाते हुए सीढ़ियों से  उत्तर रहे थे  उसी समय अजान की आवाज सुनकर  वह झुके ( हुमायूं की आदत थी कि जहां भी वह नवाज की पुकार सुनते वही झुक जाया करते थे) झुकते समय उसके पैर लंबे चौड़े में फंस गए जिससे वह संतुलन खो कर गिर गया और इस दुर्घटना में 1556 में हुई  शारीरिक क्षति  से उसकी मृत्यु हो गई)

*Q-27.. अकाल तख्त का निर्माण किसने किया था??*
A- गुरु हरगोविंद
B- गुरु नानक देव
C- गुरु गोविंद सिंह
D- गुरु अर्जुन देव

*A-गुरु हरगोविंद*(अकाल तख्त पंजाबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है कालातीत का सिंहासन  ,यह सिक्ख समुदाय की धार्मिक सत्ता का प्रमुख केंद्र है  अकाल तख्त की स्थापना छठे गुरु हरगोविंद सिंह ने की थी 1984 में स्वर्ण मंदिर पर अधिकार करने वाले सिक्ख आतंकवादियों को निकाल बाहर करने के लिए किए गए ऑप्रेशन ब्लू-स्टार में अकाल तख्त को भारी नुकसान पहुंचा था यह सामाजिक नीतियों व धार्मिक विषयों का सर्वोच्च आसन है) )

*Q-28..फतेहपुर सीकरी  के निर्माण का खाका किसके द्वारा तैयार किया गया था??*
A- बहाउद्दीन द्वारा
B- मिराक मिर्ज़ा द्वारा
C- अली खान द्वारा
D- अब्बास खाँ सारवानी द्वारा

*A-बहाउद्दीन द्वारा*(फतेहपुर सीकरी एक समय मुगल साम्राज्य की राजधानी थी इसका निर्माण अकबर द्वारा 1569 में करवाया गया था फतेहपुर सीकरी 1571 से लेकर 1585 तक मुग़ल साम्राज्य की राजधानी रही थी)

*Q-29.. भारत की सबसे बड़ी मस्जिद किस राज्य में स्थित है??*
A- दिल्ली
B- महाराष्ट्र
C- आगरा
D- आंध्र प्रदेश

*A-दिल्ली*(दिल्ली में स्थित जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है इसका निर्माण 1650 में आरंभ हुआ और 1656 में जामा मस्जिद का निर्माण कार्य समाप्त हुआ इसका निर्माण शाहजहां द्वारा  करवाया गया था )

*Q-30.. सुल्तानों की राजभाषा क्या थी??*
A- हिन्दी
B-फारसी
C-उर्दू
D-संस्कृत

*B-फारसी*(फारसी एक भाषा है जो ईरान ,तजाकिस्तान अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान में बोली जाती है  यह यहॉ की राजभाषा है  फारसी भाषा संस्कृत से काफी मिलती जुलती है और उर्दू में  इसके कई शब्द प्रयुक्त होते हैं अंग्रेजों के आगमन से पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप में फारसी भाषा का प्रयोग दरबारी काम और लेखन की भाषा के रूप में होता था दरबार में प्रयुक्त होने के कारण ही अफगानिस्तान में  इसे दारी कहा जाता है फारसी का मूल नाम पारसी है)

*Q-31.. किस भाषा को देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है??*
A- मराठा
B-फारसी
C- संस्कृत
D- गुजराती

*C- संस्कृत*(संस्कृत का अर्थ है संस्कार की हुई भाषा ,इसकी गणना संसार की प्राचीनतम ज्ञात भाषाओं में होती है संस्कृत भारत की एक शास्त्रीय भाषा है जिसे देववाणी या सुरभारती भी कहा जाता है, संस्कृत को सभी भाषाओं की जननी माना जाता है पाणिनी का संस्कृत व्याकरण पर किया गया कार्य सबसे प्रसिद्ध है  उनका अष्टाध्यायी किसी भी भाषा की व्याकरण का सबसे प्राचीन ग्रंथ है  ऋग्वेद संस्कृत भाषा में रचित संसार का सबसे प्राचीन ग्रंथ है )

*Q-32.. व्याकरण ग्रंथ अष्टाध्यायी  के रचनाकार पाणिनी का जन्म कहां हुआ था??*
A- दिल्ली
B- पंजाब
C- उत्तराखंड
D- हिमाचल प्रदेश

*B-पंजाब*(पाणिनि संस्कृत भाषा के महान व्याकरण और हिंदू महर्षि थे उनका जन्म पंजाब के शालातुला में हुआ था जो आधुनिक पेशावर (पाकिस्तान)के करीब तत्कालीन उत्तर-पश्चिम भारत के गांधार में हुआ था पाणिनि संस्कृत भाषा, संस्कृत व्याकरण  शास्त्र  और नियामक आचार्य  थे पाणिनि  को मांगलिक आचार्य कहा गया है  पाणिनी का व्याकरण शब्दानुशासन के नाम से विद्वानों में प्रसिद्ध है )

*Q-33.. महरौली में जंग रहित लोह स्तंभ किसने स्थापित किया??*
A-मौर्य
B- गुप्त
C- अंग्रेज
D- फ्रांसीसी

*B-गुप्त*(महरोली का लोह स्तंभ चंद्र नामक शासक (चंद्रगुप्त द्वितीय) ने बनवाया था चंद्रराज द्वारा मथुरा में विष्णु भगवान के मंदिर के सामने इसे ध्वज स्तंभ के रूप में खड़ा किया था इसे गरुड़ स्तंभ ही कहते हैं 1050 में यह स्तंभ दिल्ली के संस्थापक अनंगपाल द्वारा दिल्ली में लाकर कुतुब मीनार के निकट स्थापित किया गया यह अपने आप में प्राचीन भारतीय धातु कर्म की पराकाष्ठा है यह शुद्ध  इस्पात  से बना है लगभग 1625 से अधिक वर्षों में  खुले आसमान के नीचे  सदियों से सभी मौसमों में अविचल खड़ा है आज तक इसमें जंग नहीं लगी )

*Q-34..अद्वैत दर्शन के संस्थापक है??*
A- शंकराचार्य
B- रामानुजाचार्य
C- मध्याचार्य
D- महात्मा बुद्ध

*A- शंकराचार्य*(अद्वैत वाद भारत के सनातन दर्शन वेदांत के सबसे प्रभावशाली मतों में से एक है इस मत के संस्थापक शंकराचार्य थे उपनिषदों में इसके सिद्धांतों की पूरी अभिव्यक्ति है और यह वेदांत  सुत्रो के द्वारा व्यवस्थित है अद्वैतमत के अनुसार जगत मिथ्या है जिस प्रकार सपने झूठे होते हैं और अंधेरे में रस्सी को देखकर सॉप  का भ्रम होता है उसी प्रकार इस  भ्रान्ति, अविद्या ,अज्ञान के कारण ही जीव इस मिथ्या  संस्कार को  सत्य मान  रहा है

*Q-35.. अशोक ने किस  बौद्ध साधु से प्रभावित होकर बौद्ध धर्म अपनाया??*
A-उपगुप्त
B- मौर्य गुप्त
C- चंद्रगुप्त
D- राजशेखर

*A-उपगुप्त*(उपगुप्त मथुरा नगरी का एक विख्यात बौद्ध धर्माचार्य था सम्राट अशोक को बौद्ध धर्म का प्रचार करने और स्तूप आदि को निर्मित कराने की प्रेरणा धर्माचार्य उपगुप्त ने ही दी थी  बौद्ध परंपरा के अनुसार उपगुप्त सम्राट अशोक के धार्मिक गुरु थे और उन्होंने ही अशोक को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी दिव्यावदान के अनुसार अशोक द्वारा बौद्ध तीर्थ स्थलों की यात्रा के समय उपगुप्त अशोक के साथ थे पाटिलपुत्र में आयोजित तृतीय बौद्ध संगीति में उपगुप्त जी विद्यमान थे उन्होंने ही उक्त संगीति का संचालन किया और कथावस्तु की रचना अथवा संपादन किया)

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Saturday, 29 July 2017

स्पर्धा परीक्षा मार्गदर्शन

आय.ए.एस., आय.पी.एस. व्हावा या स्वप्नांना उराशी बाळगत त्यासाठी पालक धावपळ करू लागतात. मग सुरू होतात चर्चेच्या फे ऱ्या. ज्यांना या परीक्षेची माहिती आहे किंवा ज्यांनी या परीक्षा दिल्या आहेत अथवा जे यशस्वी झाले आहेत, त्यांना गाठून पाल्याच्या भविष्याबाबत पालकांचे विचारमंथन सुरू होते.
स्पर्धापरीक्षेसंदर्भात महाराष्ट्रात परिस्थिती बदलायला लागली, डॉक्टर, इंजिनीअर, व्यतिरिक्तही स्पर्धापरीक्षेद्वारे प्रशासकीय सेवेत प्रवेश करणे हा एक पर्याय असू शकतो, हा विचार महाराष्ट्रात रुजायला लागला, ही दिलासा देणारी गोष्ट आहे. मात्र, या सर्व प्रक्रियेत काही सावधानता बाळगणेही आवश्यक ठरते.
पालकांची भूमिका
ज्यांच्या पाल्यांना स्पर्धापरीक्षेची तयारी करावयाची आहे किंवा ज्या पालकांची इच्छा आहे की डॉक्टर, इंजिनीअर किंवा सीए होण्यापेक्षा आपल्या मुला-मुलींनी स्पर्धापरीक्षेची तयारी करावी, त्यांना काही गोष्टी सुचवाव्याशा वाटतात. त्या पुढीलप्रमाणे आहेत-
१) जर आपण नक्की ठरवले असेल की, आपल्या पाल्याने स्पर्धा परीक्षेच्या माध्यमातून यशस्वी होऊन आय.ए.एस. किंवा आय.पी.एस. व्हावे किंवा आपल्याला आपल्या पाल्याला तसे वाटत असेल तर पदवीसाठी प्रवेश घेताना एवढेच लक्षात घ्या की, या परीक्षेसाठी पात्रता फक्त पदवी परीक्षा उत्तीर्ण असणे एवढीच आहे. पदवी कोणत्या शाखेतून घेतली, हे महत्त्वाचे नाही.
२) जर आपल्या पाल्याने डॉक्टर, इंजिनीअर यासारख्या अभ्यासक्रमात प्रवेश घेऊन नंतर ही परीक्षा द्यावी, असे आपल्याला वाटत असेल तरी हे लक्षात ठेवा की, कोणतीही पदवी घेताना पहिल्या वर्षांपासून या परीक्षेच्या तयारीस सुरुवात करणे योग्य ठरते.
३) ज्या पाल्यांना काही कारणांमुळे बारावीच्या परीक्षेत कमी गुण मिळाले असतील तर पालकांनी निराश होण्याचे कारण नाही. डॉक्टर, इंजिनीअर  यासारखेच स्पर्धापरीक्षा हे देखील एक करिअर आहे. त्यादृष्टीने बी.ए., बी.कॉम. किंवा बी.एस्सी.ला प्रवेश घेतल्यापासूनच या स्पर्धापरीक्षेची तयारी करण्यास आपल्या पाल्याला प्रेरणा द्या. पदवीच्या या तीन वर्षांचे उत्तम नियोजन केल्यास आपला पाल्य कमीत कमी वयात आय.ए.एस. किंवा आय.पी.एस. होऊ शकतो, हे लक्षात ठेवा. त्याच्या बरोबरीचे मित्र काय करीत आहेत, ते वैद्यक, अभियांत्रिकी किंवा इतर क्षेत्रांत किती यशस्वी झाले, याची आठवण आपल्या पाल्याला पुन:पुन्हा करून देत त्याचे मानसिक खच्चीकरण करू नका. त्याउलट बी.ए., बी.कॉम. किंवा बी.एस्सी. करताना या परीक्षेसाठी योग्य नियोजन केल्यास या परीक्षेत आपला पाल्य नक्की यशस्वी होऊ शकतो, याची खात्री बाळगा.
४) महाविद्यालयीन शिक्षण घेत असताना आपला पाल्य या परीक्षेची व्यवस्थित तयारी करतो का, यावर बारकाईने लक्ष ठेवा. या परीक्षेसाठी जर तो तज्ज्ञांचे मार्गदर्शन घेत असल्यास वेळ मिळाल्यास महिन्या-दोन महिन्यातून त्यांची भेट घेत त्यांच्याकडे मुलाच्या अभ्यासाबद्दल अवश्य चौकशी करा. तयारीच्या या कालावधीत आपल्या पाल्याला निराशा येणार नाही, याची काळजी पालकांनी घ्यायला हवी.
या वयात इतर अनेक गोष्टी युवावर्गाला आकर्षति करत असतात, अशा गोष्टींच्या आहारी जात आपला पाल्य ध्येयापासून भरकटणार नाही, यासाठी पालकांनी सजग राहायला हवे. तसेच  आपल्या पाल्यावर अवास्तव अपेक्षेचे ओझेही ठेवू नये. त्याला मनापासून या परीक्षेसाठी तयारी करू द्या.
काही गोष्टी आयुष्याच्या ऐन उमेदीच्या काळात विद्याथ्यार्र्ना कळत नसतात. त्यांना आपल्या ध्येयापासून भरकटू न देणे, नैराश्येचा कालावधीत त्यांच्यासोबत पालकांनी ठामपणे उभे राहायला हवे. स्पर्धापरीक्षेचा अभ्यास करताना- विशेषत: यूपीएससी परीक्षेची तयारी करताना कधी कधी खूप अभ्यास करूनही यश लवकर मिळत नाही. कधी कधी दोन-तीन प्रयत्नांनंतरही यश मिळत नाही, अशा वेळी या परीक्षेचा नाद सोडून देत आपल्या पाल्याने एखादी छोटी-मोठी नोकरी करावी, असे बहुतांशी पालकांना वाटते. त्यांचा विचार पूर्णपणे चुकीचा आहे, असे नाही, मात्र पहिल्या प्रयत्नात विद्यार्थ्यांनी जो अभ्यास केलेला असतो, त्याचा उपयोग पुढच्या प्रयत्नात होणारच असतो. यश विद्यार्थ्यांच्या अगदी निकट असते आणि अशा वेळी पालकवर्ग आपल्या पाल्यांना हा अभ्यास सोडून देत त्याने नोकरी करावी, यासाठी दबाव टाकीत असतो. सरतेशेवटी कंटाळून तो विद्यार्थी येईल त्या परीक्षेचा फॉर्म भरत सुटतो. ज्याला आय.ए.एस. व्हावयाचे होते व ते होण्याची ज्याची क्षमता होती तो बँॅकेतील कारकुनाची एखादी परीक्षा पास होतो, अनिच्छेने घरच्यांच्या दबावापोटी व वाढणाऱ्या वयाकडे पाहून तो ती नोकरी स्वीकारतो. आयुष्यभर जे करावयाचे नव्हते ते करत बसतो आणि दु:खी होतो. म्हणून पालकांनी हे लक्षात ठेवणे आवश्यक आहे की, कधी कधी या परीक्षेत यशस्वी होण्यासाठी वेळ लागतो, तयारी करताना तो निराश होऊ शकतो, त्या वेळी त्याच्या पंखांना बळ देण्याचे काम पालकांचेच असते.
स्पर्धापरीक्षेची तयारी आणि महाविद्यालयाची भूमिका
बारावीनंतर जेव्हा विद्यार्थी महाविद्यालयामध्ये येतात, तेव्हा कॉलेजच्या मुक्त वातावरणात त्यांच्या सुप्त गुणांचा विकास होण्याच्या या काळात बऱ्याचदा मुलांचा रस्ता चुकण्याची शक्यता अधिक असते. कॉलेजमध्ये प्रवेश घेतल्यानंतर लेक्चर्स बंक करणे हा अलिखित नियम झालेला असतो. जेव्हा कॉलेज संपत येते, तेव्हा लक्षात येते की, आपण चांगल्या भविष्यासाठी स्पर्धापरीक्षेची तयारी करावयास हवी, त्यात एखाद्या यशस्वी उमेदवाराची मुलाखत वाचून आपण जास्तच प्रभावित होतो, पुस्तकांच्या दुकानात जातो, पुस्तक घेऊन येतो आणि अभ्यासाला सुरुवात करतो, अभ्यासासाठी सवय कधीच सुटलेली असते, अर्धा तासात पाठ दुखायला लागते. सर्व शक्ती एकवटून अभ्यासाला सुरुवात करतो. स्पर्धापरीक्षा समजून घ्यायला पुढची दोन वर्षे निघून जातात. अगदी गणिताच्या भाषेत बोलावयाचे झाल्यास पुढचे पाच वर्षे निघून जातात. वाढलेले वय, आपण काही करावे यासाठी पालकांकडून वाढणारा दबाव, यात भरकटलेला विद्यार्थी अजून भरकटत जातो, ही कहाणी काही एका विद्यार्थ्यांची नाही, ही महाराष्ट्रातल्या खूप विद्यार्थ्यांची आहे. पुणे, मुंबई, औरंगाबाद, नागपूर इ. शहरांचा विचार बाजूला ठेवला तर उर्वरित महाराष्ट्रात विद्यार्थ्यांची वाट अधिकच बिकट बनली आहे.
स्पर्धा परीक्षेत विशेषत: संघ लोकसेवा आयोगाच्या नागरी परीक्षेत उत्तीर्ण होण्यासाठी म्हणजे आयएएस, आयपीएस होण्याची क्षमता मराठी तरुणांमध्ये पुरेपूर आहे आणि एम.पी.एस.सी. किंवा यू.पी.एस.सी. या परीक्षेचा अभ्यासक्रम सारखा झाल्यानंतर तर परिस्थिती अधिकच अनुकूल झाली आहे.
मात्र खेदाची गोष्ट ही आहे की, कॉलेजच्या तीन-चार वर्षांच्या दरम्यान जी तयारी व्हायला हवी ती होत नाही. यू.पी.एस.सी किंवा एम.पी.एस.सी परीक्षेच्या तयारीसाठी ही तीन वर्षे अत्यंत महत्त्वाची असतात आणि त्यांचा योग्य प्रकारे वापर व्हावा.
या परीक्षेसाठी लागणारा अभ्यास म्हणजे इतिहास, भूगोल, भारतीय संविधान, विज्ञान, अर्थशास्त्र यांचा अभ्यास अत्यंत सविस्तरपणे महाविद्यालयांमध्ये होऊ शकतो. महाविद्यालयातील प्राध्यापकवर्ग वेगवेगळ्या विषयांत पारंगत असतात, आपण त्यांची मदत घ्यायला हवी. महाविद्यालयामधील अभ्यासिकेत पुस्तकांचा वापर आपण करायला हवा. या परीक्षेसाठी लागणारी मदत कॉलेजमध्ये उपलब्ध होऊ शकते. विद्यार्थी ती मदत लक्षात घेत नाहीत.
महाविद्यालयीन शिक्षण घेताना विद्यार्थ्यांनी पुढील गोष्टी लक्षात ठेवाव्यात-
१) कॉलेजमध्ये प्रवेश घेतल्यापासून म्हणजे पदवीच्या प्रथम वर्षांपासूनच अभ्यासाला सुरुवात करावी म्हणजे आगामी तीन – चार वर्षांत यूपीएससीची तयारी खूप चांगल्या पद्धतीने होऊ शकते.
२) यूपीएससी व एमपीएससी परीक्षेच्या पूर्व व मुख्य परीक्षेचा अभ्यासक्रम व्यवस्थित अभ्यासून समजला नाही तर तज्ज्ञांकडून समजून घेऊन या अभ्यासक्रमातील प्रत्येक घटक संबंधित विषयांच्या प्राध्यापकांकडून समजून घ्यावा, ग्रंथालयात उपलब्ध असणाऱ्या अभ्यासक्रमासंबंधीच्या पूरक पुस्तकांचे वाचन करावे.
३) या कालावधीत इंग्रजीवर प्रभुत्व मिळविण्याचा प्रयत्न करावा. संपूर्ण यूपीएससी परीक्षा जरी मराठीत देता येत असली तरी इंग्रजीचे महत्त्व कमी होत नाही. निवड झाल्यानंतर प्रशासकीय कामात अनेकदा इंग्रजीचा संबंध येणारच असतो, याशिवाय यूपीएससीच्या पूर्व परीक्षेत काही उतारे फक्त इंग्रजीमध्ये असतात व मुख्य परीक्षेत ३०० गुणांचा एक इंग्रजीचा पेपर लिहावाच लागतो, जरी त्या गुणांचा वापर अंतिम यादीसाठी केला जात नसला तरी त्यात उत्तीर्ण होणे आवश्यक आहे. उत्तीर्ण झालो नाही तर इतर पेपर तपासले जात नाहीत म्हणजे आपण परीक्षेत अपयशी ठरतो. महाविद्यालयाच्या पहिल्या वर्षांपासून जर आपण इंग्रजीच्या तयारीला प्राधान्य दिले, तर तीन वर्षांत इंग्रजीवर प्रभुत्व मिळवू शकतो. ही गोष्ट विशेषत: ग्रामीण भागांतून या परीक्षेची तयारी करणाऱ्या विद्यार्थ्यांनी समजून घ्यावी.
४) संघ लोकसेवा आयोगाच्या तसेच इतर स्पर्धापरीक्षेसाठी गणित हा घटक महत्त्वाचा आहे. यूपीएससीच्या प्रारंभिक परीक्षेसाठी सी सॅटचा जो दुसरा पेपर आहे, त्यात गणिताचा हा घटक येतो, जरी हा पेपर फक्त गणितावरच आधारित नसला तरी ज्या विद्यार्थ्यांची गणितावर पकड घट्ट असते, त्यांना हा पेपर सोडवताना अडचण होत नाही व त्यांना या पेपरमध्ये जास्तीत जास्त गुण मिळून, मुख्य परीक्षेसाठीचा मार्ग सोपा होतो. कॉलेजच्या पहिल्या-दुसऱ्या वर्षांपासूनच या घटकाच्या तयारीला सुरुवात करावी, म्हणजे या घटकाच्या तयारीला जास्त वेळ देता येतो, शिवाय महाविद्यालयामधील प्राध्यापकांचीही यासाठी मदत होऊ शकते. एवढय़ा दोन-तीन वर्षांच्या काळात तयारी अशा प्रकारे होऊन जाईल की, कोणताही प्रश्न कसाही आणि कितीही अवघड आला तरी आपण आत्मविश्वासाने सामोरे जाऊ शकतो.
५) यूपीएससीची तयारी करणाऱ्या विद्यार्थ्यांचा सर्वसामान्य प्रश्न असतो की, अभ्यासाला कुठपासून सुरुवात करावी? याचे उत्तर म्हणजे- ‘एनसीइआरटी’ची इ. पाचवी ते दहावीपर्यंतची सर्व विषयांची पुस्तके सविस्तर वाचावीत. विद्यार्थी पदवी घेऊन आलेला असतो, मात्र या परीक्षेसाठी लागणारा त्याचा पाया कमकुवत असतो, म्हणून या पुस्तकांचे वाचन करणे आवश्यक असते. पदवी घेतल्यानंतर या पुस्तकांचे वाचन करण्यापेक्षा पदवीचे शिक्षण घेत असतानाच ही पुस्तके वाचली असतील, त्यातील मुलभूत संकल्पना समजून घेतल्या असतील तर पुढचा अभ्यास करणे जास्त सोपे होते.
कॉलेजमध्ये असतानाच इतिहास, भूगोल, भारतीय संविधान, अर्थशास्त्राच्या मुलभूत संकल्पना यांचा अभ्यास करावा. जमल्यास त्यांच्या नोट्स तयार करून ठेवाव्यात.
शाळा-कॉलेजपासूनच स्पर्धापरीक्षेची तयारी करावी याचे महत्त्व विद्यार्थ्यांना पटू लागले आहे. महाराष्ट्रातील कॉलेजमध्ये शिकविणारा प्राध्यापकवर्ग तज्ज्ञ आहे, मात्र या परीक्षेबाबत थोडी माहिती कमी असल्याने अभ्यासक्रम व स्पर्धापरीक्षेची तयारी याचा मेळ घालताना काही त्रुटी दिसून येतात. योग्य नियोजनाने त्या टाळता येऊ शकतात. महाराष्ट्रातील काही विद्यापीठांनीदेखील प्रत्येक महाविद्यालयात स्पर्धापरीक्षेची तयारी करून घेण्यासाठी स्वतंत्र विभाग सुरू केला आहे. त्या विभागावर आणखी चांगल्या पद्धतीने लक्ष देऊन व गरज पडल्यास त्यासाठी या परीक्षेची माहिती असणाऱ्या तज्ज्ञांकडून मदत घेतल्यास हा विभाग प्रभावीपणे कामगिरी करू शकतो. ज्यामुळे विद्यार्थ्यांची तयारी कॉलेजमध्ये असताना पूर्ण होते आणि अशा विद्यार्थ्यांना या स्पर्धात्मक जगात यश मिळवणे अधिक सोपे जाऊ शकते.
या सर्व प्रक्रियेत प्राध्यापकवर्गाची भूमिका महत्त्वपूर्ण ठरते. आगामी काळात हा सकारात्मक बदल झाल्यास कमी वयात या परीक्षेत यश मिळविणाऱ्या महाराष्ट्रातील विद्यार्थ्यांची संख्या निश्चितच वाढेल.